
महिला स्वास्थ्य और DBT परियोजनाओं पर 3 साल कुंडली मारे बैठे रहे केजरीवाल: अभिजीत

दिल्ली चुनाव के नतीजों के बीच सचिवालय सील किये जाने की खबर ने सबको चौकाया क्योकि ऐसा अमूमन देखने को नहीं मिलता। आज सरकार के लिए नवाचार और टेक पायलट प्रोजेक्ट करने वाली एजेंसी के प्रमुख से बात -चीत में हुआ कुछ ऐसी हेरा-फेरी की संभावनाओं का खुलासा जिनकी वजह से सचिवालय के प्रशासनिक विभाग ने उठाये ये कदम. अन्यथा क्या सच में गायब हो सकती थी कुछ फाइलें और दस्तावेज?

विकास की दर और गति को बढ़ाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में नई तकनीक और नवाचार लाने के लिए कई पायलट प्रोजेक्ट किये जाते है. जिनके सफल होने पर केंद्र एवं राज्य सरकारें विभिन्न राज्यों में उन्हें विस्तारित करती है। दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं से जुडी आशा वर्कर (ASHA) की क्षमता और वेतन वृद्धि के एक प्रोजेक्ट के सम्बन्ध में बोलते हुए पायलटिंग एजेंसी के कार्यक्रम निदेशक अभिजीत सिन्हा ने आज खास बातचीत में दिल्ली सरकार द्वारा इसके रोके जाने को ले कर कुछ तथ्य साझा किये।
2021: WHO और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा में कोरोना संकट में किये गए कार्यों के लिए आशा स्वस्थ्य कर्मियों को सम्मानित करने के बाद; उनके वेतन और बजट आवंटन को बढ़ाने के लिए नए दीर्घ कालीन कार्यक्रमों को केंद्रीय स्तर पर प्रारूपित (प्रोटोटाइप) किया जाना था।
2022: कोरोना के बाद आर्थिक चुनातियों से जूझते हुए भी वित्त मंत्री ने 2022 के बजट में इन परियोजना के लिए अनिवार्य DATA CENTRES (डाटा केंद्रों) को आधारभूत Infrastructure Status (दर्जा) दिया ताकि राज्यों को इन्हे बनाने के लिए निवेश आसानी से मिल जाये।

In the budget 2022, the Finance Minister Smt. Nirmala Sitharaman has accorded Infrastructure status to data centres. “Data Centres and energy storage systems including dense charging infrastructure and grid-scale battery systems will be included in the harmonized list of infrastructure. This will facilitate credit availability for digital infrastructure” the FM elaborated in the budget speech.
बजट घोषणा के बाद पहले चरण के पायलट परियोजनाओं में करीब 1 करोड़ 20 लाख महिलाओं और लाभार्थियों के लिए PPP मोड़ में बजट आवंटन किया जाना था. जिसमे राजधानी होने के नाते दिल्ली एक प्रमुख राज्य था। परन्तु केजरीवाल सरकार ने राजनैतिक असुरक्षा की भावना में इस पायलट को 3 साल तक रोके रखा। वहीँ अन्य 9 राज्य जैसे गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, असम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, महाराष्ट्र ने 2022 में ही त्वरित रूप से इस दिशा में कदम उठाते हुए अपने 72 जिलों को वित्तीय आवंटन और पायलट के लिए आगे किया। जिसमे राजस्थान, ओडिशा और महाराष्ट्र में योजना बजट (Proposed Budgeting) के समय बीजेपी की सरकार नहीं थी। फिर भी दिशा के प्रोटोटाइप में उन्होंने भागीदारी दिखाई। प्रोटोटाइप की सफलता के बाद आशा कार्यकर्ताओं को 12 करोड़ 25 लाख महिलाओं और लाभार्थियों को दिशा कार्यक्रम के लिए विभिन्न राज्यों से रजिस्टर करना था। जिसका खर्च आगामी बजट से PPP मोड़ में वहन किया जाता और बिना केंद्रीय बजट पर भार दिए राज्यों को इसके लिए अतिरिक्त बजट प्राप्त होता।

‘दिशा’ के कार्यक्रम निदेशक अभिजीत सिन्हा ने आज बिंदुवार रूप से बीते 3 वर्षो में हुए घटनाक्रम का ब्यौरा दिया। जिनकी वजह से दिल्ली राज्य ‘दिशा’ और महिला सशक्तिकरण की कल्याणकारी परियोजनाओं का लाभार्थी बन ने से वंचित रह गया।
- दरअसल 2022 से ही अरविन्द केजरीवाल किसी केंद्रीय योजना, अनुदान या कार्यक्रम के तहत दिल्ली में डिजिटल हेल्थ कर्यक्रमों के लिए भी DATA CENTRE लगाने को ले कर सशंकित थें।
- आशा कार्यकर्ताओं को दिशा परियोजनाओं से मिलने वाले प्रशिक्षण और डिवाइस (HealthTech) से केजरीवाल के मोहल्ला क्लिनिक की छवि धूमिल होने के भय में आप ने दिशा की फाइल 2022 से 2023 तक दबा रखी।
- केजरीवाल को अपनी टीम, ठेकेदार और वेंडर कंपनियों के सिवा किसी और पर भरोसा नहीं होता और उनके भरोसे उन्होंने केंद्रीय कार्यक्रमों को टाल तो दिया। लेकिन राज्य स्तर पर डाटा सेंटर और डिजिटल हेल्थ के क्षेत्र में एक कदम भी नहीं उठा सकें। यहाँ तक की 10 सालों में मोहल्ला क्लिनिक का भी डिजिटलीकरण नहीं कर पाए।
- आम आदमी पार्टी के दिल्ली विकास माडल में ‘आयुष्मान भारत’ जैसे सक्षम और सफल कार्यक्रम या ‘दिशा’ जैसे जैसे डिजिटल हेल्थ के बहुआयामी पायलट प्रोजेक्ट कई लिखित प्रयासों के बाद भी शामिल नहीं हुए। ‘आप’ की सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं की भी एक नहीं सुनी, और फ़ाइल 3 साल तक रुकी रही।
- वित्तीय वर्ष 2023 ख़त्म होने से पहले एक आखरी प्रयास करते हुए मैंने अन्य राज्यों के साथ दिल्ली के सचिव को भी इस दिशा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लिखित आग्रह किया। जिसपर बताया गया की फ़ाइल गुम हो गई है इसलिए जवाब नहीं दे पा रहें है।
- फ़रवरी 2024 में कोरोना जैसी आपदाओं से भविष्य में निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक सूत्रीय कार्यक्रम का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष लाया गया. जिसके बाद National One Health Mission को कैबिनेट की मंज़ूरी भी मिल गयी। लेकिन इसके बाद भी आप सरकार ने दिल्ली के अधिकारियों को One National One Health और ‘दिशा’ कार्यक्रमों और बैठकों में शामिल होने नहीं भेजा।
- 2025 के बजट में PPP (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को विशेष प्राथमिकता में लाने से पहले ही; केंद्र ने राज्यों से 3 साल में पूरे हो सकने वाले प्रोजेक्ट और योजनाओं की जानकारी माँगी थी। जिसका आग्रह वित्त मंत्री ने दोबारा 2025-26 के अपने बजट भाषण में किया और इसके लिए 1 लाख 50 हज़ार करोड़ के बजट परिव्यय (Budget Outlay) के साथ 50 साल के ब्याज रहित ऋण की भी घोषणा की।
- केजरीवाल सरकार के अवरोधों का परिणाम ये हुआ की दिल्ली की सरकार के पास बजट आवंटन अथवा परिव्यय में भेजने के लिए 2024-25 में स्वास्थ्य और आशा कार्यकर्ताओं के आधुनिकीकरण लिए ‘दिशा’ के अंतर्गत एक PPP (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) परियोजना तो दूर एक प्रस्ताव तक नहीं था।
- वहीँ अगस्त 2024 तक ओडिशा सरकार ने 1 करोड़ आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आर्थिक सशक्तिकरण की पात्र महिलाओ को अगले 5 साल तक प्रतिवर्ष रक्षा बंधन और महिला दिवस के अवसर पर 5000/- रुपये की सम्मान राशि देने वाली ‘सुभद्रा योजना’ शुरू भी कर दी। इस योजना में गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं लाभार्थियों को हर साल 10,000 रुपये की सहायता DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में डाली जाती है। जिसमे पात्र महिलाओं को 5 साल में अधिकतम 50,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जा सकेगी। जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले वर्ष अपने जन्मदिन पर 10 लाख से अधिक महिलाओं के बैंक खातों में DBT (Direct Benefit Transfer) की पहल के साथ की।
- दिल्ली में महिला सशक्तिकरण और कल्याण योजनाओं को केजरीवाल ने 3 साल तक राज्य से बाहर रोके रखा।आशा,आंगनवाड़ी और महिला स्वास्थ्य (ANM) कार्यकर्ताओं के आधुनिकीकरण और वेतन बढ़ोतरी के लिए ‘दिशा कार्यक्रम’ के पायलट के प्रस्ताव पर बैठे रहे। जबकि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री लाड़ली बहिन योजना में हर महीने 2100 रुपये मिलने की शुरुआत भी हो गयी। मुहल्ला क्लिनिक की साख बचाने के चक्कर में केजरीवाल न केंद्र से महिलाओं के लिए फंड ले पा रहें थे, ना अपनी योजनाओं को जमीन पर उतर पा रहे थें, ना ही आने वाले केंद्रीय आवंटन अथवा PPP कार्यक्रमों के वित्तीय प्रारूपण पायलट में शामिल हो रहे थे।

संवाद के दौरान कार्यक्रम निदेशक ने कहा की ” मामला सिर्फ लेट-लतीफी का या राजनैतिक द्वेष का नहीं है. सरकार के इन कार्यकलापों की जानकारी और सम्बंधित दस्तावेज अधिकारियों के सज्ञान में रहते है लेकिन ये दिल्ली की महिलाओं का दुर्भाग्य बन गया की मुख्यमंत्री के भय और प्रभाव के कारण, समय रहते सचिवालय के अधिकारीयों ने ऐसी लापरवाही को उजागर नहीं किया। ऐसे में फाइलों और सम्बंधित दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए सचिवालय को सील किया जाना एक अति आवश्यक प्रशासनिक निर्णय है. विधान-सभा भंग होते ही उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर बिना समय गवाए मैंने परियोजना से सम्बंधित तथ्य सार्वजनिक कर दिए है. सरकार त्वरित रूप से दिल्ली के इस नुकसान को विकासधारा में जोड़ सके इसके लिए दिल्ली के महामहिम उपराज्यपाल से समय ले कर इसकी विस्तृत जानकारी भी साझा की जाएगी।”